मेंडलवाद (Mendelism) क्या है? | ग्रेगर जोहन मेंडल के आनुवांशिकी प्रयोग, MonoHybrid व Dihybrid Cross (Genetics Part-2) in Hindi For All Competition

 अनुवांशिकी part-1 पढ़े :-https://www.iedunews24.com/2025/08/genetics-complete-biology-notes-in.html

मेंडलवाद (Mendelism) – आनुवांशिकी का आधार

➣ मेंडलवाद (Mendelism) आनुवांशिकी (Genetics) का वह सिद्धांत है जिसमें ग्रेगर जॉन मेंडल द्वारा किए गए प्रयोगों और उनके द्वारा प्रतिपादित नियमों का अध्ययन किया जाता है। इन नियमों ने यह स्पष्ट किया कि लक्षणों की वंशागति किस प्रकार होती है।


ग्रेगर जोहन मेंडल का जीवन परिचय


➣ जन्म – 22 जुलाई 1822, ऑस्ट्रिया के हैजेनडोर्फ प्रांत के सिलिसिया गाँव में

➣ 1843 – ऑस्ट्रिया के ब्रॉन शहर में पादरी बने

➣ 1856 – 1863 – मटर के पौधों पर प्रयोग किए

➣ 1866 – अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए

➣ पत्रिका का नाम – ब्राउन सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री

➣  शोध का शीर्षक – पादप संकरण पर प्रयोग (Experiments on Plant Hybridization)

➣   मृत्यु – 6 जनवरी 1884


ग्रेगर मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए उधान मटर (Pisum sativum) को चुना, क्योंकि –


➣ मटर एक वर्षीय पौधा है, जिससे जल्दी कई पीढ़ियों का अध्ययन किया जा सकता है।

➣ इसमें द्विलिंगी फूल पाए जाते हैं, इसलिए स्व-परागण और कृत्रिम परागण सरल है।

➣ इसमें विपरीत लक्षण (जैसे हरा–पीला, लंबा–बौना, गोल–झुर्रीदार) स्पष्ट रूप से दिखते हैं।


➣ इन्हीं विशेषताओं के कारण मटर के पौधे आनुवांशिक प्रयोगों के लिए आदर्श साबित हुए।


मेंडल के शोध कार्य


➣ मेंडल ने मटर के पौधों पर संकरण (Hybridization) करके लक्षणों की वंशागति का अध्ययन किया।

➣ उन्होंने पाया कि संतान में कुछ लक्षण प्रभावी (Dominant) के रूप में दिखाई देते हैं, जबकि कुछ लक्षण दबे (अप्रभावी) रहते हैं।

➣ उन्होंने यह भी समझाया कि लक्षणों का संचरण नियत नियमों के अनुसार होता है।

➣ उनके प्रयोगों के आधार पर आनुवांशिकी के मूल नियम प्रतिपादित हुए, जिन्हें आज हम मेंडलवाद (Mendelism) के नाम से जानते हैं।


➣ मेण्डल ने अपने प्रयोगो में 7 जोड़ी विप्रयासी लक्षणों का चयन किया 

(Table of Dominant & Recessive Traits)



मेण्डल की तकनीक 

➣ मेण्डल ने अपने प्रोयगो में विपुनसन एवं थलीकरण तकनीक का उपयोग किया | 

मेण्डल के नियमो की पुनर्खोज 

➣ मेण्डल की मृत्यु के लगभग 16 साल बाद सन 1900 में मेण्डलवाद की पुनः खोज की गई -

1. कॉर्ल कॉरेन्स - जर्मनी का (मक्का के पादप पर कार्य किया)
2. ह्यूगो डी व्रिज - हॉलैंड का (प्रीमरोस पर कार्य किया)
3. ऐरिक वोन सेरमाक - ऑस्ट्रिया (अलग - अलग पुष्पीय पादपों पर कार्य किया)  

एकसंकर संकरण (MonoHybrid Cross)

➣जब किसी एक लक्षण (Single Trait) की वंशागति का अध्ययन किया जाता है, तो उस संकरण (Cross) को मोनोहाइब्रिड क्रॉस कहते हैं।

उदाहरण:

➣ मेंडल ने मटर के पौधे में तने की ऊँचाई (Height of Plant) का अध्ययन किया।

लंबा पौधा (Tall) = T (Dominant)
बौना पौधा (Dwarf) = t (Recessive)



Parent Generation


➣ मेंडल ने एक शुद्व लंबे पौधे (TT) को एक शुद्व बौने पौधे (tt) से संकरण कराया।


Parents :   TT (Tall)   ×   tt (Dwarf)

Gametes :    T           ×    t

F1 (First Filial Generation) :  Tt (All Tall)


➣ F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे प्राप्त हुए , क्योंकि T (Tall) लक्षण t (Dwarf) पर हावी (Dominant) होता है।



 F1 Self Pollination (F1 का स्व-परागण)


➣ जब F1 पीढ़ी के पौधे (Tt × Tt) को आपस में संकरण कराया।

(Monohybrid Cross)



F2 Second Generation


➣ Genotype Ratio (आनुवांशिक अनुपात) → 1 TT : 2 Tt : 1 tt
➣ Phenotype Ratio (लक्षण अनुपात) → 3 Tall : 1 Dwarf

➣ यानी F2 पीढ़ी में 75% पौधे लंबे और 25% पौधे बौने होते हैं।

एक संकर संकरण (Monohybrid Cross) के आधार पर मेंडल ने दो मुख्य नियम बताए –


1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)

2. पाथकरण का नियम (Law of Segregation)


 1. प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)

➣ इस नियम के अनुसार, किसी संकरण (Cross) में जब दो विपरीत लक्षण (Contrasting Traits) मिलते हैं, तो केवल एक लक्षण संतान में प्रकट होता है।
➣  प्रकट होने वाले लक्षण को प्रभावी (Dominant Trait) कहते हैं।
 ➣ छिपे हुए लक्षण को अप्रभावी (Recessive Trait) कहते हैं।

उदाहरण:
➣ मेंडल ने लंबा पौधा (TT) × बौना पौधा (tt) का संकरण किया।
➣ F1 पीढ़ी में सभी पौधे लंबे (Tt) निकले, क्योंकि लंबाई (Tallness) बौनेपन पर प्रभावी होती है।

प्रभाविता के नियम के अपवाद 

1. अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete Dominance)
2. सह-प्रभविता (Co - dominance)

 2. पाथकरण का नियम (Law of Segregation)


➣ इस नियम के अनुसार, युग्मक (Gametes) के निर्माण के समय जीन (Factors) एक-दूसरे से अलग (Segregate) हो जाते हैं और शुद्ध रूप में अगली पीढ़ी में पहुंचते हैं।

➣ इसका अर्थ है कि प्रत्येक संतति को एक जीन पिता से और एक जीन माता से मिलता है।
 इसलिए लक्षणों का वितरण एक निश्चित अनुपात में होता है।

उदाहरण:
➣ जब F1 पौधे (Tt × Tt) का संकरण किया गया, तो F2 पीढ़ी में –

➣ 75% पौधे लंबे (TT और Tt)
➣ 25% पौधे बौने (tt)
 

द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross) – मेंडल का प्रयोग


➣द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross) का अर्थ है – किसी संकरण (Hybridization) में एक साथ दो विपरीत लक्षणों (Contrasting Traits) का अध्ययन करना।
➣यह प्रयोग ग्रेगर जॉन मेंडल ने मटर के पौधों पर किया और इसी से उन्होंने अपना तीसरा नियम, स्वतंत्र वर्गीकरण/अप्यूहान  का नियम (Law of Independent Assortment) प्रतिपादित किया।



द्विसंकर संकरण का उदाहरण


➣मेंडल ने मटर के पौधों में बीज के रंग (Color) और आकार (Shape) का अध्ययन किया।

➣बीज का रंग → पीला (Y) = Dominant, हरा (y) = Recessive
➣बीज का आकार → गोल (R) = Dominant, झुर्रीदार (r) = Recessive



➣ Parent Generation (मूल जनन)

➣ मेंडल ने शुद्ध नस्ल वाले पौधों का संकरण किया:

➣ Parents:   YYRR (पीला, गोल)   ×   yyrr (हरा, झुर्रीदार)
➣ Gametes:   YR   ×   yr
➣ F1 Generation:   सभी पौधे YyRr (पीला, गोल) 


➣ F1 पीढ़ी में सभी पौधे पीले और गोल निकले क्योंकि पीला और गोल लक्षण प्रभावी (Dominant) हैं।



F1 Self Pollination (F1 का स्व-परागण)


➣ अब F1 पीढ़ी (YyRr × YyRr) का आपस में संकरण कराया।


(Formulation of the law of independent application)



➣ Punnett Square (सरल रूप) :- इस संकरण से कुल 16 संयोजन प्राप्त हुए।



➣ F2 Generation (दूसरी पीढ़ी)

➣ F2 पीढ़ी में पौधों का लक्षण अनुपात इस प्रकार निकला:

9 पौधे → पीले और गोल
3 पौधे → पीले और झुर्रीदार
3 पौधे → हरे और गोल
1 पौधा → हरा और झुर्रीदार

➣ Phenotypic Ratio (लक्षण प्रारूप अनुपात) = 9 : 3 : 3 : 1

➣ Genotypic Ratio (F2 पीढ़ी का जीन प्रारूप अनुपात) = 1:2:2:4:1:2:1:2:1



द्विसंकर संकरण से प्राप्त नियम


➣ इस प्रयोग से मेंडल ने स्वतंत्र वर्गीकरण/अप्यूहान  का नियम (Law of Independent Assortment) प्रतिपादित किया।

➣ इसका अर्थ है कि –

➣ एक लक्षण का वंशानुक्रम (Inheritance) दूसरे लक्षण के वंशानुक्रम से स्वतंत्र होता है।
➣ यानी बीज का रंग और बीज का आकार एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते।

Note :- स्वतन्त्र अप्यूहन नियम का अपवाद:-  सहलग्नता 



  • मेंडलवाद और आनुवांशिकी से जुड़े प्रश्न


Q1. मेंडलवाद (Mendelism) क्या है?
Ans. मेंडलवाद आनुवांशिकी का वह सिद्धांत है जिसमें ग्रेगर मेंडल द्वारा मटर के पौधों पर किए गए प्रयोगों से लक्षणों की वंशागति के नियम बताए गए।

Q2. आनुवांशिकी का जनक किसे कहा जाता है?
Ans. ग्रेगर जॉन मेंडल को आधुनिक आनुवांशिकी का जनक कहा जाता है।

Q3. मोनोहाइब्रिड क्रॉस और डाइहाइब्रिड क्रॉस में क्या अंतर है?
Ans. मोनोहाइब्रिड क्रॉस में एक लक्षण का अध्ययन किया जाता है, जबकि डाइहाइब्रिड क्रॉस में दो लक्षणों का एक साथ अध्ययन किया जाता है।

Q4. मेंडल ने कितने विपरीत लक्षणों का अध्ययन किया?
Ans. मेंडल ने मटर के पौधों में 7 जोड़ी विपरीत लक्षणों का अध्ययन किया।

Q5. मेंडलवाद की पुनर्खोज कब हुई?
Ans. 1900 में तीन वैज्ञानिकों – कॉर्ल कॉरेन्स, ह्यूगो डी व्रिज और एरिक वोन सेरमाक ने स्वतंत्र रूप से मेंडल के नियमों की पुनर्खोज की।


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