PART- 1 पढ़े - https://www.iedunews24.com/2025/08/biology-cell-details-notes-in-hindi-for.html
6. सूत्रकणिका(MITOCHONDRIA)
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(Diagrammatic viw of Mitochondria/Chondriosome) |
➣1880- कोलिकर(Kolliker) ने कीटो की रेखित पेशियों में देखा |
➣1894- अल्टमान(Altman) ने इन्हे कोशिकांग माना व Bioblast कहा |
खोजकर्ता :- Flemming व Altman (खोज का श्रेय इन्ही को जाता है |)
➣ Mitochondria नाम C. Benda ने दिया |
➣आकार - व्यास :- 0.2 - 1.0 µm व लम्बाई 1 - 4 µm
➣प्रत्येक कोशिका में माइटोकांड्रिया की संख्या भिन्न होती है , यह उसकी सक्रियता पर निर्भर करती है |
➣Chondriome - एक कोशिका में उपस्थित सभी माइटोकांड्रिया को Chondriom कहलाते है |
➣जन्तुवो में सर्वाधिक माइटोकांड्रिया पक्षियो की "उड्डयन पेशियों" (Flight Muscles) में होती है |
Note :- माइटोकांड्रिया को -
1. कोशिका का शक्ति ग्रह या ATP उधोग कहते है |
2. 'कोशिका में कोशिका' 'अर्धस्वायत' कोशिकांग
3. 'कोशिका भट्टी' या 'संचयी बैटरी' 'मातृक' वंशागति में कार्य
4. कोशिका में 'सर्वाधिक व्यस्त' व 'सर्वाधिक सक्रिय' कोशिकांग होता है |
संरचना :-
➣यह दो झिल्लियों से घिरा कोशिकांग होता है |
➣माइटोकांड्रिया की आंतरिक झिल्ली में अंगुली नुमा प्रवर्ध होते है जिन्हे क्रिस्टी कहते है
(क्रिस्टी का कार्य :- आंतरिक झिल्ली के क्षेत्रफल को बढ़ाना )
➣माइटोकांड्रिया में भरे द्रव को मैट्रिक्स कहते है | (मैट्रिक्स में क्रेब्स चक्र के एंजाइम पाये जाते है )
➣माइटोकांड्रिया में एकरज्जुकी, वृताकार नग्न DNA पाया जाता है |
➣माइटोकांड्रिया में 70 s प्रकार का राइबोसोम पाया जाता है |
Note :- जब माइटोकांड्रिया की बाहरी झिल्ली हटा दी जाये तो इन्हे Mitoplast कहते है |
:- मैट्रिक्स में DNA replication तथा Transcription के लिए एंजाइम जैसे DNA - polymerase , RNA - polymerase उपस्थित होते है |
:- माइटोकांड्रियल DNA कोशिका के कुल DNA का लगभग 1% होता है |
माइटोकांड्रिया के कार्य(Function of Mitochondria)
1. कोशिका में ऑक्सीकरण क्रियाये (वायुविय शवसन) व ऑक्सीकरण फोस्फोरीलीकरण करना |
2. ATP का संग्रहण करना |
3. अण्डो के पीतक निर्माण(Vitellogenesis) में सहायता करना |
4. कोशिकाद्रव्य या मातृक वंशागति में सहायक |
7.लवक(PLASTIDS)
खोजकर्ता:- अर्नेस्ट हैकल(1866)
➣A F W सिम्पसर ने इसे परिभाषित किया
➣लवक सभी पादप कोशिकाओं एवं कुछ प्रोटोजोआ जैसे:- युग्लीना में मिलते है |
➣इनमे विशिस्ट प्रकार के वर्णक मिलने के कारन पादप भिन्न - भिन्न रंग के दिखाई पड़ते है |
लवको के प्रकार (Types of Plasitds)
➣वर्णको के आधार पर लवक निम्न प्रकार के हेट है -
1. वर्णिलवक (Chromoplasts)
➣ विलेयता के आधार पर इसमें दो प्रकार के वर्णक पाये जाते है -
A) जल में विलयशील वर्णक
➣ यह वर्णक कोशिका रस (Cell sape) में घुलनशील होता है |
जैसे - एन्थोसायनिन - नीला या बैगनी या लाल वर्णक
- एन्थोक्लोर - पीला वर्णक (Betacyanin - Beet root में)
कार्य :- पुष्प के पेटल्स भाग को रंग प्रदान करना |
B ) वसा में विलयशील वर्णक
➣ ये वर्णक वसा में विलयशील होते है |
➣ ये कैरोटिनॉइड वर्णक जैसे:- केरोटीन , जैन्थोफिल आदि है |
कार्य :- यह फल के पेरिकार्प व पुष्प के पेटल्स को रंग प्रदान करता है |
➣ फलो का पीला-नारंगी रंग - α केरोटीन, β-केरोटीन ,γ-केरोटीन
Note:- beta केरोटीन विटामिन A का सबसे अच्छा स्रोत होता है |
:- गाजर विटामिन A का सबसे अच्छा स्रोत है |
eg - मिर्च का लाल रंग - लाइकोपीन
- गाजर का लाल रंग - बी केरोटीन
2. अवर्णी लवक (Leucoplast)
➣ ये विभिन्न आकृति एवं आकार रंगहीन लवक होते है |
कार्य:- भोजन का संग्रहण करना |
➣ भोजन संग्रहण के आधार पर यह तीन प्रकार का होता है |
a) मंडलवक (amyloplast):- इसमें स्टार्च के रूप में कार्बोहायड्रेट संचित होता है |
b) प्रोटीन लवक (Aleurplast):- इसमें प्रोटीन का संचय होता है |
c) तेल लवक (Elaiplast):- इसमें वसा या तेल का संचय होता है |
Note:- ल्यूकोप्लास्ट में वर्णक व थायलेकोइड अनुपस्थित होते है |
3. हरितलवक (Chloroplasts)
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(Diagramatic view of Chloroplast) |
➣ इनमे पर्णहरित (Chlorophyll) व कैरोटिनॉइड वर्णक मिलते है |
➣ ये प्रकश संस्लेशण में आवश्यक होते है |
➣पादपों में क्लोरोप्लास्ट / हरितलवक पत्ती की पर्णमध्योत्तक / मीसोफिल कोशिकाओं में पाये जाते है |
- हरितलवक का आकार
➣हरितलवक लैंस के आकार के , अंडाकार , गोलाकार , चक्रिक व फीते के आकार के अंगक होते है |
➣ हरितलवक की लम्बाई = 5-10 µm
➣हरितलवक की चौड़ाई = 2-4 µm
- हरितलवक की संरचना
➣यह दो झिल्लियों से घिरा कोशिकांग है |
➣आन्तरिक झिल्ली , बाहरी झिल्ली से कम पारगम्य होती है |
➣स्ट्रोमा / पीठिका :- हरितलवक में भरा द्रव |
:- इसमें प्रकाश संस्लेशण की अप्रकाशिक अभिक्रिया होती है |
➣थाइलेकोइड :- स्ट्रोमा में चपटे एकल झिल्लीयुक्त थैली जैसी संरचना |
Note :- प्रकाश संस्लेशण की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई थाइलेकोइड होती है |
➣ग्रेना :- यह थाइलेकोइड से बनी सिक्को की ढेरीनुमा संरचना होती है |
:-इसमें प्रकाश संस्लेशण की प्रकाशिक अभिक्रया होती है |
➣हरितलवक के स्ट्रोमा में छोटा डबल स्टैंडेड DNA अणु मिलता है |
➣इसमें 70 s प्रकार का राइबोसोम पाया जाता है |
➣इसे भी 'कोशिका में कोशिका' या 'अर्द्धस्वायत' कोशिकांग कहते है |
- क्लोरोप्लास्ट के कार्य (Function of Chloroplast)
➣प्रकाशसंस्लेशण करना
➣प्रकृति में O2 व CO2 का संतुलन करना | (ग्लोबल वार्मिंग काम करना)
➣पृथ्वी की हरियाली को बनाये रखना |
➣क्लोरोप्लास्ट विटामिन K , E , रूबिस्को प्रोटीन व आयन का संचय करता है |
Note :- रूबिस्को - यह पृथ्वी पर मिलने वाली सर्वाधिक प्रोटीन है |
-यह पृथ्वी पर मिलने वाला सर्वाधिक एंजाइम है |
-यह कैल्विन चक्र का महत्वपूर्ण एंजाइम है |
-यह हरितलवक की 16 % प्रोटीन है |
8. तारककाय व तारककेंद्र (CENTROSOME AND CENTRIOLES)
- खोजकर्ता :- बेन्डेंन(Benden)
- नाम :- बोवेरी (Boveri)
➣उच्च पादपों में सेन्ट्रोसोम अनुपस्थित होता है |
➣सेन्ट्रोसोम जन्तु कोशिका में पाया जाता है |
➣यह झिल्ली रहित लम्बवत संरचना है |
संरचना :- गाड़ी के पहिये समान
➣सेन्ट्रीओल का प्रतिकृतकरण s - अवस्था में होता है |
➣दो सेन्ट्रीओल केन्द्रक के बाहर एक - दूसरे के समकोण पर होती है |
कार्य :- कोशिका विभाजन में सहायता करना |
9. केन्द्रक (NUCLEUS)
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(Diagramatic view of Nucleus) |
➣केन्द्रक का अध्ययन - करिओलॉजी
➣खोजकर्ता :- रॉबर्ट ब्राउन (1831)
➣फ्लेमिंग ने इसे क्रोमेटिन नाम दिया | ( क्षारीय रंग से रंजित होने के कारण)
➣केन्द्रक को कोशिका का नियंत्रक (Controler) व निर्देशक (Director) कहते है |
Note :- हैमरलिंग ने ऐसीटाबुलेरिया शैवाल पर प्रयोग कर यह सिद्द किया, की केन्द्रक का महत्व आनुवांशिकता के नियंत्रण , वृद्धि एवं उपापचय में होता है |
➣केन्द्रक दो झिल्लियों से घिरा कोशिकांग होता है |
➣स्ट्रासबर्ग के अनुसार :- केन्द्रक की उत्पत्ति पूर्व स्थित केन्द्रक में विभाजन से होती है |
➣सामन्यता प्रत्येक कोशिका में एक केन्द्रक होता है |
Note :- मनुष्य की परिपक्व RBC एवं पादपों की चालनी नलिकाओं में केन्द्रक अनुपस्थि होता है |
केन्द्रक के कार्य (Function of Nucleus):-
➣आनुवांशिक सूचनाएं :- केन्द्रक इसके क्रोमेटिन में आनुवंशिक सुचना निहित रखता है |
➣आनुवांशिक सूचनाओं का संचरण:- केन्द्रक मातृ कोशिका से पुत्री कोशिका या एक पीढ़ी से दूसरी में आनुवंशिक सूचनाओं के संचरण में भाग लेता है |
➣कोशिका विभाजन में :- केन्द्रक का विभाजन कोशिका विभाजन की प्रथम आवश्यकता है |
➣उपापचय का नियंत्रण करना |
10. केन्द्रिका (Nucleolus)
➣संरचना :- गोलाकार
➣स्थान :- केन्द्रक द्रव्य में
➣झिल्ली रहित कोशिकांग | कोशिका विभाजन की प्रोफेज अवस्था में ये विलुप्त हो जाते है |
केन्द्रिका का रासायनिक संघठन (Chemistry of Nucleolus)
प्रोटीन - 85 %
RNA - 10 %
DNA - 5 %
केन्द्रिका के कार्य (Function of Nucleolus)
➣राइबोसोम का संस्लेशण करना |
Note :- इसे राइबोसोम की फैक्ट्री कहते है |
11. गुणसूत्र(CHROMOSOME)
➣1818 - होफमिस्टर व कार्ल नेगेली ने ट्रेडस्कैन्टिया पादप की पराग मातृ कोशिका में
गुणसूत्र को प्रेक्षित किया |
➣1875 - स्ट्रासबर्ग ने कोशिका विभाजन के दौरान गुणसूत्र को खोजा|
➣वाल्डेयर ने क्रोमोसोम शब्द दिया |
➣फ्लेमिंग ने क्रोमेटिन शब्द दिया |
➣सट्टन व बोवेरी ने वंशागति का गुणसूत्रीय सिद्वांत दिया |
Note:-कोशिका विभाजन के दौरान क्रोमेटिन पदार्थ संघनित होकर क्रोमोसोम (गुणसूत्र) बनता है |
➣क्रोमोसोम का स्पस्ट अध्ययन मेटाफ़ेज़ अवस्था में किया जाता है |
➣प्रत्येक जाती के जीवो में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है |
➣मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में लगभग 2 मीटर लम्बा क्रोमेटिन तन्तु पाया जाता है |
➣मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 46 या 23 जोड़े गुणसूत्र पाए जाते है |
गुणसूत्र का रासायनिक संगठन (Chemistry of Chromosome)
➣गुणसूत्र RNA , DNA , व प्रोटीन से मिलकर बना होता है |
➣गुणसूत्र में :- RNA - 5 %
:-DNA - 35 %
:-प्रोटीन - 60 % (गुणसूत्र में हिस्टोन प्रोटीन पायी जाती है |)
➣हिस्टोन प्रोटीन पर धनात्मक आवेश पाया जाता है |
➣DNA व RNA पर ऋणात्मक आवेश पाया जाता है |
➣हिस्टोन प्रोटीन का 20 - 30 % भाग आर्जिनिन व लाइसिन अमीनो अम्लों का बना होता है |
➣आर्जिनिन व लाइसिन की मात्रा के आधार पर हिस्टोन प्रोटीन पांच प्रकार की होती है -
(H1 , H2A , H2B , H3 , H4 )
Part - 3 पढ़े -https://www.iedunews24.com/2025/08/micro-bodies-1.html
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